न नर के ना नारायण के
कैसे होते हैं ना 'ये लोग' !





कैसे होते हैं ना 'ये लोग' !
भीड़ में कोई चेहरा नहीं
पर अकेले ,
चेहरे पर भी चेहरा ओढ़े रहते हैं
ये लोग।
गरीब के लिए एक सबक,
और अमीर के लिए कोई सबब-सा
बन, यूंही बिछे रहते हैं
ये लोग ।
कैसे होते हैं ना ये लोग !
नाम से ही काम
काम के नाम पर
'नाम विशेष को ढूंढ़ते हैं
ये लोग।
बडी मुशिकल में पड जाते हैं
अगर सवाल तुम करो उनसे,
पर जवाब ,अपने हर सवाल का मांगते हैं ,ये लोग।
बडे ही भिन्न होते हैं ये लोग
उन लोगों से, जो जानते है धर्म इन्सानियत का,
उनसे भी खिन्न हो जाते है
जब 'लोग' ही नहीं कहलाते हैं
ये लोग।
कैसे होते हैं ना ये लोग !
'नर ही नारायण', ना मान
किसी अवतार की
आस में निष्क्रिय से रहते हैं, ये लोग,
न नर के ना नारायण के
ठगे से ठहरे रह जाते हैं
ये लोग।।
Dr. Pragya Kaushik