एक बूंद पानी की......
एक बूंद......





एक बूंद मिले पानी की
तो प्यासे को भी आये आस
एक बूंद रक्त की
मरते को भी दे जीने की सांस
एक बूंद प्यार की
घोलती शब्दों में रास
एक बूंद करूणा की
दीन का भी बढ़ाती विश्वास
एक बूंद चिंगारी की
बन जाती है
ज्वाला अनल विनाश
एक बूंद नफरत की
रिश्तों का भी करे ग्रास
बनने से पहले नफरत का ग्रास
क्यों न बढ़ाएँ एक कदम
मानवता के साथ ?
क्यों न मिटायें दूरी दिलों की
जो बने मानव का परम उल्लास
डा .प्रज्ञा कौशिक, मीडिया एजुकेटर