मैंने क्लब की ओर से सिविल हस्पताल हिसार से लगभग 2.5 लाख की कीमत से चार शेड्स ( वरिष्ठ एवं विकलांग लोगो के लिए, AIDS रोगियों के लिए, कोरोना रोगियो के लिए और mortuary( sheds) बनवाएँ जिस में बैठने के लिए बेंच लगवाए।
डिजिटल टेक्नोलॉजी ने आपस में बांधे रखा।





Written by Dr. JK Dang
भारत में जनवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में कोरोना के लक्षण से प्रभावित एक महिला का पहला केस केरल में देखा गया था। विश्व भर से कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने की खबरें आ रही थी। मार्च के तीसरे सप्ताह में भारत के अलग अलग भागों से कोरोना संक्रमण से 11-12 लोगों के मरने की खबरें मिली। 21 मार्च -2020 को भारत के प्रधानमंत्री ने सारे देश में 19- दिन के लिए पूर्ण लॉक डाउन घोषित कर दिया। केवल आवश्यक सेवाएं को छोड़ कर सारे देश में स्कूल -कॉलेज, दफ्तर और बाजार बंद कर दिए गए। विश्व भर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा था। कोई इलाज नहीं था। वैज्ञानिक एवं डाक्टर कह रहे थे : दो गज़ की दूरी - मास्क है ज़रूरी। बार बार हाथ धोएं, हाथ सैनिटीज़ करें।
वरिष्ठ नागरिक क्लब, हिसार के मुख्य सचिव होने के नाते हम ने क्लब भी बंद कर दिया। हम सब की गतिविधियाँ बंद हो गई थी । सब घरों में बंद थे। उदास और परेशान!! मेरे मन में विचार आया कि क्यों ना डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके वेबिनार शुरू करें। मैंने अपने पदाधिकारियों से बातचीत की। हमने सप्ताह में दो बार वेबिनार शुरू कर दिए। धीरे -धीरे सदस्यों को आनंद आने लगा। जूम एवं गूगल मीट से आपस में मिलने लगे। वेबिनार को सफल बनाने के लिए हमने अलग अलग विषयों पर गोष्ट्टियाँ शुरू की। देश - विदेश से हम ने विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। ज्ञान - विज्ञान, मनश्चिकित्सा, मानस शास्त्र, साहित्य, संगीत, गायन , शिक्षा नीति -2020, पत्रकारिता एवं राष्ट्रीय त्यौहार, तीज, होली, दिवाली आदि सब हम ने ऑनलाइन मनाएं। हमारी गोष्टियाँ की चर्चा होने लगी। समाचार पत्रों में हमारे वेबिनार की खबरें छपने लगी। देश - विदेश लोग इसमें जुड़ने लगे हैं।
आंखों देखी कारगिल की कहानी
इसी बीच मुझे अपने किसी दोस्त के यहाँ जाना बहुत भारी पड़ा। आठ- अक्टूबर 2020 को मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया। घर में एक कमरे में अलग कर दिया गया। मेरा डॉक्टर बेटा दिल्ली से हिसार आ गया। घर में ही इलाज शुरू कर दिया। 21- दिन एक कमरे में बंद रहना पड़ा। सही उपचार , साथियों की शुभकामनाएं और सकारात्मक सोच के साथ , मैं कोरोना से जीत गया। हमारी वेबिनार गोष्ठी रुक गई। परंतु मेरे साथी मेरे से दूर थे, लगातार मेरा साहस बढ़ाते रहे। हमारे क्लब के साथी श्री अजीत सिंह जो दूरदर्शन के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हैं , ने सुझाव दिया कि मेरे स्वस्थ होने के उपलक्ष्य में " मंगल कामना दिवस " मनाया जाए । देश - विदेश से जुड़े साथियों ने पुरानी फिल्मों के खुशनुमा गीत और भजनों से ऐसा समां बाँधा कि मैं अपने अकेलेपन का अहसास ही भूल गया। हम सब एक दूसरे से दूर थे, पर डिजिटल टेक्नोलॉजी ने आपस बांधे रखा।
Free Food for Everyone
लेकिन शायद अभी कोरोना का दूसरा आगाज बाकी था। कोरोना की दूसरी लहर में हमारे कई साथी या उनके परिवार के सदस्य हमे हमेशा के लिए छोड़ गए। पर हम सब ऑनलाइन गोष्ठियों के द्वारा आपस में भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे । देश की दुःख की घड़ी में हमारी वरिष्ठ नागरिक क्लब समाज सेवा के काम में पीछे नहीं रही। हमने मास्क बांटे, नगर निगम एवं सिविल हॉस्पिटल में ऑटोमेटिक हैंड सैनिटाइजर मशीन लगवाई। कुछ काम बेहद सवेंदना से भरे थे उनका ज़िक करू के न। .. कठिन समय में कोरोना से मरने वालों को सिविल अस्पताल के द्वारा गरीब मृतकों के लिए 450- काफन दिए। श्मशान घाट पर 500- क्विंटल लकड़ी दी। हमने क्लब में चार टीका कारण कैंप लगवाए। अति वरिष्ठ लोगों को टीका करण के लिए प्रेरित किया।। इस तरह से हम सब कोरोना काल में आपस में शारीरिक रूप से दूर हैं, पर दिल से से जुड़े हुए हैं।वो कहते है न की बेशक नजर से दूर लेकिन दिल के पास।